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छत्तीसगढ़ में देसी बकरी पालन: 200 बकरियों का गाइड

परिचय

छत्तीसगढ़ में बकरी पालन में रुचि है? या देसी बकरियों का प्रबंधन जानना चाहते हैं? तो, यह पोस्ट 200 देसी बकरियों के पालन की जानकारी देगी। दरअसल, इस वीडियो में ओम प्रकाश अवसर चरवाहों से बात करते हैं। आइए, मुख्य बातें जानें।

देसी बकरियाँ: अनमोल संसाधन

वीडियो की देसी बकरियाँ बहुत खास हैं। दरअसल, ये कम दिखती हैं, परंतु इनका महत्व बहुत है। इसलिए, ये छत्तीसगढ़ में आजीविका का मुख्य स्रोत हैं।

चरवाहों का अनुभव

ओम प्रकाश अवसर ने अनुभवी चरवाहों चवन लाल यादव और धर्म सिंह पाल से बात की। उदाहरण के लिए, चवन लाल यादव 40 साल से बकरी पालन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि गाय चराना छोड़ बकरी पालन अपनाया। यह उनका मुख्य व्यवसाय बना।

आजीविका का साधन

बकरी पालन इन लोगों के लिए सिर्फ व्यवसाय नहीं है। बल्कि, यह उनकी रोजी-रोटी का सहारा है। परिणामस्वरूप, इससे उनके परिवार का भरण-पोषण होता है।

बकरियों की संख्या और बिक्री

चवन लाल यादव ने पाँच बकरियों से शुरू किया था। और अब, उनके पास लगभग 60 बकरियाँ हैं। इसके अलावा, वे साल में ₹1.5 लाख की बकरियाँ बेच लेते हैं, जबकि उनका सालाना खर्च ₹10,000 आता है।

टीकाकरण और स्वास्थ्य

गाँव में बकरियों को पीपीआर का टीका लगता है। हालाँकि, ईटी, एफएमडी और गोट पॉक्स के टीके नहीं हैं। फिर भी, चरवाहे कभी-कभी पाचन के लिए देसी इलाज करते हैं, जैसे कि गुड़ खिलाना।

चारागाह की समस्या

चरवाहों को चारागाह की कमी का सामना है। नतीजतन, उन्हें अपनी बकरियों के लिए पर्याप्त चारा ढूँढने में कठिनाई होती है।

सरकारी योजनाओं का अभाव

चरवाहों को सरकारी योजनाओं, जैसे कि शेड या अन्य सुविधाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। मुख्य रूप से, उन्हें केवल टीकाकरण की सुविधा है।

बकरियों की कीमत

वीडियो में कुछ बकरियों की कीमत भी बताई गई है। उदाहरण के लिए, एक गर्भवती बकरी ₹12,000 की है, और कुछ अन्य बकरियाँ ₹10,000 तक की हैं।

भूमिहीन लोगों के लिए

छत्तीसगढ़ में, दरअसल, ज्यादातर भूमिहीन लोग बकरी और भेड़ पालन से जुड़े हैं। अतः, यह उनके लिए एक महत्वपूर्ण आय का स्रोत है।

खेती से तुलना

बकरी पालन को खेती से ज्यादा फायदेमंद बताया गया है। क्योंकि, इसमें कम निवेश लगता है।

बेरोजगारी में सहारा

एक चरवाहे ने बताया कि बढ़ई का काम नहीं मिला। इस कारण, उन्होंने बकरी पालन शुरू किया। इस प्रकार, यह बेरोजगारी में एक महत्वपूर्ण सहारा है।

दूध और बच्चों की संख्या

देसी बकरियाँ आमतौर पर एक लीटर से ज्यादा दूध देती हैं। और तो और, वे आमतौर पर एक या दो बच्चे देती हैं।

चारागाह और सरकारी उदासीनता

वीडियो में चारागाह की कमी की समस्या उठाई गई है। साथ ही, सरकार द्वारा ध्यान न दिए जाने की समस्या भी बताई गई है।

निष्कर्ष

संक्षेप में, छत्तीसगढ़ में देसी बकरी पालन एक महत्वपूर्ण व्यवसाय है। यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था में योगदान देता है। यह भूमिहीन लोगों के लिए अच्छा आय का स्रोत है, लेकिन चरवाहों को चारागाह की कमी और सरकारी सहायता की कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।


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