आप देख रहे हैं मांडू यात्रा, या कह लें मांडव गढ़ की यात्रा। मांडू की बसने की कहानी छठी सदी से शुरू होती है और शुरुआत में परमार राजाओं ने इसे अपनी राजधानी के रूप में रचाया और बसाया, मांडू विंध्याचल पर्वत में 2000 फीट की ऊंचाई में होने के कारण, स्वता ही प्राकृतिक रूप से राजधानी को सुरक्षा प्रदान करता है। इन्हीं कारणों से परमार राजाओं ने इसे अपनी राजधानी के रूप में चुना होगा। बाद में मांडु सुल्तानों का अधिकार हो गया , और सुल्तानों के शासनकाल के दौरान ही तेहरवीं सदी के आसपास मांडू अपने स्वर्णिम दौर में पहुंचा।
विंध्याचल के गोद में बसे होने के कारण मांडू के प्राकृतिक नजारे देखते ही बनते हैं इसके अलावा उस वक्त बनाई गयी, इमारतें आज भी मांडू की वैभवशाली अतीत की कहानी कहता है। लेकिन इन सबसे आगे जो नाम मांडू की पहचान हैं। वह है रानी रूपमती और बाज बहादुर। दोनों की प्रेम कहानी मांडू के पहाड़ों से, झिलों से, महलों से आप देख और सुन सकते हैं । तो चलिए इस वीडियो पर हम बाज बहादुर महल भी देखेंगे और रानी रूपमती और बाज बहादुर की प्रेम कहानी भी।
बाज बहादुर मालवा के अंतिम सुल्तान थे और उनका शासन काल 1555 से 1562 ईस्वी तक रहा। बाज बहादुर कुशल शासक के साथ संगीत और कला प्रेमी भी थे।
कहा जाता है रानी रूपमती मालवा के एक किसान की बेटी थी और सुंदरता में उस समय कालखंड में कोई और रानी रूपमती की बराबरी नहीं कर सकता था। रानी रूपमती अद्वितीय सौंदर्य की धनी होने के साथ-साथ बेहतर संगितग्य और गायिका भी थीं और रानी रूपमती के संगीत का प्रभाव आज भी मालवा के लोक गीतों पर दिखाई देता है शायद इन्हीं कारणों से बाज बहादुर का दिल रानी रूपमती पर आया होगा।लेकिन इतिहास हमारे हिसाब से कहां चलता है सन 1561 हिस्ट्री में अकबर के सेनापति आदम खान ने मालवा पर चढ़ाई कर दी, विशाल मुगल फौज के आगे बाज बहादुर ज्यादा देर तक न टिक सका और युद्ध में पराजित होकर उसे भागना पड़ा, फिर क्या होना था रानी रूपमती आदम खां की बंदी हो गई जब आदम खान ने उसे प्रेमिका के रूप में पाना चाहा तब रानी रूपमती ने विष खाकर अपने प्राण दे दिए ।
बाज बहादुर की खोज में अकबर ने आदम खान और पीर मोहम्मद बुरहानपुर तक भेजा लेकिन पीर मोहम्मद के मारे जाने पर बाज बहादुर यहां सफल हो क्या और खोए हुए मालवा को दोबारा प्राप्त किया लेकिन यह सफलता ज्यादा दिनों की नहीं थी, सन 1562 में अकबर के द्वारा दोबारा हमला किया गया जिसमें बाज बहादुर चोटिल हो गया और उसकी मृत्यु हो गयी। यूं तो बाज बहादुर और रानी रूपमती का कार्यकाल बहुत छोटा रहा लेकिन उनके प्रेम को मालवा आज भी उन्हें याद करता है और दुनिया भर के प्रेमी प्रेमिका उन्हें देखने और समझने मांडू आते हैं।
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