पैडी ट्रांसप्लांटर: LE4 4-Row Paddy Transplanter Demo

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एलई4 फोर-रो पैडी ट्रांसप्लांटर: छत्तीसगढ़ के किसान विवेक वैष्णव का अनुभव और विस्तृत समीक्षा

भिलाई, छत्तीसगढ़: धान की खेती भारतीय कृषि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और छत्तीसगढ़ को “धान का कटोरा” के रूप में जाना जाता है। इस क्षेत्र के किसानों के लिए, धान की रोपाई एक श्रमसाध्य और समय लेने वाली प्रक्रिया रही है। हालांकि, आधुनिक कृषि तकनीकों के आगमन के साथ, अब ऐसी मशीनें उपलब्ध हैं जो इस प्रक्रिया को अधिक कुशल और लागत प्रभावी बना सकती हैं। ऐसा ही एक नवाचार है एलई4 फोर-रो पैडी ट्रांसप्लांटर, जिसकी क्षमता और उपयोगिता का प्रत्यक्ष अनुभव छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के चांदो गांव के प्रगतिशील किसान विवेक वैष्णव ने साझा किया है। यह लेख उस वीडियो समीक्षा पर आधारित है जिसमें विवेक ने इस मशीन के विभिन्न पहलुओं, जैसे कि नर्सरी की तैयारी, संचालन, लागत, बचत और उपज पर इसके प्रभाव के बारे में विस्तार से बताया है।

परंपरा से आधुनिकता की ओर: धान की रोपाई की चुनौतियां और समाधान

पारंपरिक रूप से, भारत में धान की रोपाई हाथों से की जाती रही है, जिसमें बहुत अधिक समय, श्रम और लागत लगती है। मजदूरों की उपलब्धता और बढ़ती मजदूरी की लागत ने किसानों के लिए यह प्रक्रिया और भी चुनौतीपूर्ण बना दी है। इसके अतिरिक्त, हाथ से रोपाई में पौधों की दूरी और गहराई में एकरूपता बनाए रखना मुश्किल होता है, जिसका सीधा असर उपज पर पड़ता है।

एलई4 फोर-रो पैडी ट्रांसप्लांटर जैसी मशीनें इन चुनौतियों का एक प्रभावी समाधान प्रस्तुत करती हैं। यह मशीन एक साथ चार पंक्तियों में धान के पौधों की रोपाई कर सकती है, जिससे समय और श्रम की बचत होती है, और पौधों की दूरी और गहराई में एकरूपता भी सुनिश्चित होती है, जो बेहतर उपज के लिए महत्वपूर्ण है।

नर्सरी की तैयारी: “मेड टाइप नर्सरी” का महत्व

पैडी ट्रांसप्लांटर के प्रभावी संचालन के लिए अच्छी गुणवत्ता वाली नर्सरी का होना आवश्यक है। वीडियो में विवेक वैष्णव “मेड टाइप नर्सरी” तैयार करने की प्रक्रिया का वर्णन करते हैं। इस विधि में, धान के बीजों को विशेष ट्रे में मिट्टी और खाद के मिश्रण में उगाया जाता है।

  • ट्रे का उपयोग: प्लास्टिक या फाइबर की बनी विशेष ट्रे का उपयोग किया जाता है, जिनमें छोटे-छोटे कक्ष होते हैं।
  • बीज और मिट्टी का मिश्रण: इन कक्षों में उपजाऊ मिट्टी और खाद का मिश्रण भरा जाता है, और फिर प्रत्येक कक्ष में धान के बीज बोए जाते हैं।
  • देखभाल: इन ट्रे को पानी और उचित धूप वाली जगह पर रखा जाता है, और नियमित रूप से सिंचाई की जाती है।
  • परिवहन में आसानी: लगभग 15 दिनों में, जब पौधे 4-5 इंच की ऊंचाई तक बढ़ जाते हैं, तो इन ट्रे को आसानी से खेत में ले जाया जा सकता है। यह पारंपरिक नर्सरी की तुलना में अधिक सुविधाजनक और कम श्रमसाध्य है।

विवेक बताते हैं कि अच्छी नर्सरी तैयार करना ट्रांसप्लांटर के सफल संचालन के लिए पहली और महत्वपूर्ण शर्त है। स्वस्थ और समान आकार के पौधे रोपाई के बाद तेजी से बढ़ते हैं और बेहतर उपज देते हैं।

एलई4 फोर-रो पैडी ट्रांसप्लांटर: विशेषताएं और संचालन

वीडियो में विवेक वैष्णव एलई4 मॉडल के विभिन्न तकनीकी पहलुओं और इसके संचालन की प्रक्रिया को विस्तार से समझाते हैं:

  • चार पंक्तियों में रोपाई: इस मशीन की सबसे प्रमुख विशेषता यह है कि यह एक साथ चार पंक्तियों में धान के पौधों की रोपाई कर सकती है, जिससे रोपाई की गति कई गुना बढ़ जाती है।
  • समायोज्य रोपण गहराई: मशीन में रोपण की गहराई को 1 से 5 इंच तक समायोजित करने की सुविधा है, जिससे किसान अपनी मिट्टी के प्रकार और जलवायु परिस्थितियों के अनुसार गहराई का चयन कर सकते हैं।
  • पौधों की संख्या का चयन: मशीन प्रति स्थान 2-3 से लेकर 7-8 या उससे अधिक पौधे लगाने की क्षमता रखती है। यह सुविधा किसानों को अपनी पसंद और बीज की गुणवत्ता के अनुसार पौधों की संख्या निर्धारित करने में मदद करती है।
  • पंक्ति से पंक्ति की दूरी: मशीन में पंक्तियों के बीच की दूरी निश्चित होती है और इसे बदला नहीं जा सकता है।
  • पौधे से पौधे की दूरी का समायोजन: एक ही पंक्ति में पौधों के बीच की दूरी को 16, 18, 20 या 22 सेंटीमीटर पर सेट किया जा सकता है। विवेक बताते हैं कि वे आमतौर पर 16 सेंटीमीटर की डिफ़ॉल्ट सेटिंग का उपयोग करते हैं। यह सुविधा किसानों को पौधों के बीच उचित जगह बनाए रखने में मदद करती है, जिससे उन्हें बढ़ने और विकसित होने के लिए पर्याप्त संसाधन मिल सकें।
  • 4-व्हील ड्राइव: मशीन में 4-व्हील ड्राइव सिस्टम है, जो इसे कीचड़ भरे और असमान खेतों में भी आसानी से चलाने में मदद करता है और मशीन के फंसने की संभावना को कम करता है।
  • पेट्रोल इंजन: यह मशीन पेट्रोल से चलती है और विवेक के अनुसार, इसकी ईंधन दक्षता लगभग 3 से 3.5 लीटर प्रति एकड़ है, जो इसे डीजल चालित मशीनों की तुलना में अधिक किफायती बना सकती है।
  • पांच गियर: मशीन में पांच गियर दिए गए हैं, जिनका उपयोग विभिन्न गति आवश्यकताओं के अनुसार किया जा सकता है।

विवेक मशीन को चलाते हुए दिखाते हैं और बताते हैं कि इसे संचालित करना अपेक्षाकृत आसान है, खासकर उन किसानों के लिए जिनके पास ट्रैक्टर चलाने का अनुभव है। मशीन का डिज़ाइन उपयोगकर्ता के अनुकूल है और इसके रखरखाव की प्रक्रिया भी सरल है।

लागत और बचत का विश्लेषण: किसान के लिए आर्थिक लाभ

किसी भी कृषि मशीनरी में निवेश करने से पहले, किसान उसकी लागत और उससे होने वाली संभावित बचत का आकलन करते हैं। विवेक वैष्णव इस पहलू पर विस्तृत जानकारी प्रदान करते हैं:

  • मशीन की खरीद लागत: एलई4 फोर-रो पैडी ट्रांसप्लांटर की बाजार में कीमत लगभग ₹9 लाख है। हालांकि, विवेक ने बताया कि उन्हें यह मशीन ₹4 लाख की सरकारी सब्सिडी मिलने के बाद ₹5 लाख में मिली। इस खरीद में 300 नर्सरी ट्रे और ₹12,000 की एक सीडर मशीन भी शामिल थी, जिसका उपयोग नर्सरी तैयार करने के लिए किया जाता है।
  • रोपाई की प्रति एकड़ लागत: विवेक के अनुसार, इस मशीन से एक एकड़ खेत में धान की रोपाई करने की कुल लागत लगभग ₹310 आती है, जिसमें ईंधन और मामूली रखरखाव का खर्च शामिल है।
  • पारंपरिक रोपाई की लागत से तुलना: इसके विपरीत, पारंपरिक तरीके से मजदूरों द्वारा हाथ से रोपाई करने की लागत वर्तमान में ₹7,500 से ₹10,000 प्रति एकड़ तक आ सकती है, जो मजदूरों की उपलब्धता और क्षेत्र के आधार पर भिन्न हो सकती है।
  • महत्वपूर्ण लागत बचत: इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि पैडी ट्रांसप्लांटर का उपयोग करने से किसानों को प्रति एकड़ रोपाई की लागत में भारी बचत होती है। विवेक अनुमान लगाते हैं कि वे इस मशीन से प्रति एकड़ लगभग ₹7,000 से ₹9,500 तक बचा सकते हैं।
  • निवेश पर रिटर्न: विवेक को उम्मीद है कि वे इस मशीन की पूरी लागत को केवल दो फसल चक्रों में वसूल कर लेंगे। उन्होंने पहले ही रबी सीजन में 15 एकड़ और वर्तमान खरीफ सीजन में 18 एकड़ में रोपाई करके अच्छा खासा खर्च वसूल कर लिया है। यह दर्शाता है कि यह मशीन किसानों के लिए एक लाभदायक निवेश साबित हो सकती है।

उपज और अन्य लाभ: उत्पादन और दक्षता में वृद्धि

लागत बचत के अलावा, एलई4 फोर-रो पैडी ट्रांसप्लांटर धान की उपज और खेती की समग्र दक्षता में भी सुधार लाने में मदद करता है:

  • समान रोपण और बेहतर टिलरिंग: मशीन द्वारा की गई समान रोपाई से प्रत्येक पौधे को पर्याप्त स्थान, हवा, पानी और धूप मिलती है, जिसके परिणामस्वरूप बेहतर टिलरिंग होती है। विवेक ने बताया कि उनके खेतों में प्रति पौधे 30-40 तक टिलर देखे गए हैं, जो पारंपरिक रोपाई की तुलना में काफी अधिक है।
  • केवल जड़ों का रोपण: यह मशीन केवल धान के पौधे की जड़ों को मिट्टी में रोपटी है, जबकि ऊपरी हिस्सा हवा में रहता है। यह वैज्ञानिक विधि भी टिलरिंग को बढ़ावा देती है और पौधे के विकास के लिए अनुकूल वातावरण बनाती है।
  • कीटों का कम संक्रमण: एक व्यवस्थित और समान रोपण पैटर्न कीटों के संक्रमण को कम करने में मदद करता है, खासकर भूरे प्लानथॉपर (माहू) जैसे कीटों के प्रकोप को। पौधों के बीच उचित दूरी होने से हवा का संचार बेहतर होता है, जिससे बीमारियों और कीटों के फैलने की संभावना कम हो जाती है।
  • बढ़ी हुई उपज: विवेक ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि मशीन का उपयोग करने के बाद उनकी धान की उपज में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उन्होंने खरीफ सीजन में प्रति एकड़ 24 क्विंटल और रबी सीजन में प्रति एकड़ 35 क्विंटल तक उपज प्राप्त की है, जबकि उन्होंने मध्यम स्तर के उर्वरकों का ही उपयोग किया था। यह दर्शाता है कि मशीन द्वारा सुनिश्चित की गई बेहतर रोपाई तकनीकों का सीधा प्रभाव उपज पर पड़ता है।
  • पेशेवर रोपाई और उत्पादन में वृद्धि: कुल मिलाकर, यह मशीन धान के पौधों की पेशेवर तरीके से रोपाई सुनिश्चित करती है, जिससे न केवल लागत कम होती है बल्कि उत्पादन में भी वृद्धि होती है, जिससे किसानों की आय बढ़ती है।

निष्कर्ष: एलई4 फोर-रो पैडी ट्रांसप्लांटर – प्रगतिशील किसानों के लिए एक वरदान

वीडियो में विवेक वैष्णव का अनुभव स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि एलई4 फोर-रो पैडी ट्रांसप्लांटर धान की खेती में एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है। यह न केवल रोपाई की प्रक्रिया को तेज और कुशल बनाती है, बल्कि लागत को भी कम करती है और उपज में सुधार लाने में मदद करती है। छत्तीसगढ़ जैसे धान उत्पादक राज्यों के किसानों के लिए, यह मशीन एक मूल्यवान उपकरण साबित हो सकती है जो उन्हें आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाने और अपनी आय को बढ़ाने में सक्षम बना सकती है। विवेक वैष्णव जैसे प्रगतिशील किसान इस बात का जीवंत उदाहरण हैं कि कैसे सही तकनीक का उपयोग करके कृषि को अधिक लाभदायक और टिकाऊ बनाया जा सकता है।

यह मशीन उन किसानों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जिनके पास बड़े खेत हैं और जो मजदूरों की कमी या उच्च श्रम लागत की समस्या का सामना कर रहे हैं। सरकारी सब्सिडी की उपलब्धता इस मशीन को और भी अधिक सुलभ बनाती है। हालांकि, किसानों को इस मशीन को खरीदने और संचालित करने से पहले अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं, खेत के आकार और आर्थिक स्थिति का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करना चाहिए।

अंततः, एलई4 फोर-रो पैडी ट्रांसप्लांटर जैसे कृषि नवाचार भारतीय कृषि के आधुनिकीकरण और किसानों की समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। विवेक वैष्णव का अनुभव अन्य किसानों के लिए प्रेरणास्रोत है जो पारंपरिक खेती के तरीकों से आगे बढ़कर आधुनिक तकनीकों को अपनाने के इच्छुक हैं।

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