इस वीडियो पर हम दिखा रहे हैं मां गंगा मैया मंदिर झलमला बालोद छत्तीसगढ़। आपको बता दें मां गंगा मैया मंदिर झलमला दुर्ग शहर से बालोद जाने वाले रास्ते पर बालोद से 5 किलोमीटर पहले ही मिलता है। मां गंगा मैया मंदिर का इतिहास 130 साल पुराना है 130 साल पहले झलमला नामक गांव की आबादी तकरीबन 100 थी उस समय इस जगह पर सोमवार के दिन पशुओं का बाजार लगा करता था जिसमें बहुत सारे लोग इकट्ठा हुआ करते थे इतने सारे लोगों के एकत्रित होने के कारण झलमला में पानी की कमी महसूस की गई और इसी कमी को दूर करने के लिए ग्रामीणों ने तालाब खुदवाने का निर्णय लिया और उसी तालाब में सिवनी गांव का केवट मछली मारने के लिए जब जाल फेंका तो उस जाल में एक मूर्ति फंस गई केवट ने उसे पत्थर समझते हुए वापस तालाब में फेंक दिया लेकिन इस मूर्ति ने रात को गांव के बैगा के सपने में आकर कहा कि मैं तलाब में रखी हुई हूं और तुम सो रहे हो मुझे जल्द ही स्थापित कराओ। सुबह होते ही यह बात बैगा ने ग्रामीणों और मालगुजार को बताई और मूर्ति को स्थापित किया गया। आज जहां पर मूर्ति स्थापित है वहीं पर तलाब हुआ करता था और तांदुला डैम बनने के बाद नहर निर्माण के लिए इस मूर्ति को हटाने के लिए अंग्रेजों द्वारा बहुत प्रयास किया गया, लेकिन अंग्रेज एडम स्मिथ के लाख प्रयासों के बाद भी इस मूर्ति को अपनी जगह से नहीं हटाया जा सका। और आज भी गंगा मैया उसी जगह पर विद्यमान है।