काम, क्रोध, अर्थ,ज्ञान और मोक्ष की नगरी खजुराहो के बारे में हम जानकारी दे रहे हैं। खजुराहो, मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले पर आता है । खजुराहो को मंदिरों की नगरी भी कहा जाता है।
खजुराहो अपनी कामुक मूर्तियों के लिए विश्व प्रसिद्ध है खजुराहो के इन मंदिरों का निर्माण चंदेल वंश द्वारा 950 से 1050 सन् के बीच हुआ है। खजुराहो के मंदिर भारतीय कला के सबसे महत्वपूर्ण नमूनों में से एक है हिंदू और जैन मंदिरों को आकार लेने में लगभग 100 साल लगे हैं। खजुराहो मूल रूप से 85 मंदिर का एक संग्रह था, लेकिन यह संख्या 25 तक नीचे आ गई है। खजुराहो का पश्चिमी मंदिर समूह, विश्व धरोहर में शामिल होने वाली भारत की तीसरी बड़ी जगह है।
मध्य भारत को 200 ईसा पूर्व इसे वत्सा के नाम से किसे जाना जाता था। खजुराहो क्षेत्र में छठवीं सातवीं और आठवीं सदी में गुर्जर, प्रतिहार लोग आए और उन्होंने शासन किया और इसके बाद नवमी सदी से यहां पर चंदेल वंश ने शासन किया। और खजुराहो में जितने भी मंदिर हैं उन सभी मंदिरों का निर्माण किया है चंदेल वंश के शासकों ने ।
चंदेल वंश की उत्पत्ति से संबंधित जो मान्यता या कहानी है, वह इस प्रकार है- वाराणसी के राजपुरोहित की बेटी हेमवती को इंद्र से श्राप था कि वह बहुत ही कम उम्र में विधवा हो जाएगी । हेमवती जब 16 वर्षों तक पहुंची तब वह बेहद खूबसूरत थी । एक बार पूर्णमासी की रात हेमवती, रति ताल में गई अपनी शारीरिक शिक्षा को पूर्ण करने के लिए तभी उसकी खूबसूरती को देखकर चंद्र भगवान उस पर आकर्षित हो गए । और दोनों के बीच शारीरिक संबंध कायम हो गए और नव माह उपरांत हेमवती ने जिस बच्चे को जन्म दिया उसका नाम था चंद्र वर्मन। इस कहानी के अनुसार चंद्र बर्मन ने ही चंदेल वंश की नींव रखी और पहले शासक बने और चंद्र बर्मन नहीं खजुराहो के सभी मंदिरों का निर्माण कराया है। ताम्रपत्र और अभिलेखों के माध्यम से पता चलता है कि चंदेल वंश के 22 राजा हुए हैं और राजाओं के द्वारा खजुराहो में 85 मंदिर और 85 तालाबों का निर्माण कराया गया। खजुराहो पूरी तरीके से चारों तरफ की पहाड़ियों से घिरा है खजुराहो तंत्र का भी बहुत बड़ा केंद्र रहा है देशभर के तांत्रिक अपनी तंत्र विद्या को पूरा करने के लिए खजुराहो आया करते थे।
12 वीं सदी के बाद यहां पर मुस्लिम आक्रमण शुरू हो गया और आक्रमणकारियों ने 60 मंदिरों को नष्ट कर दिया , और मंदिरों को पूरी तरीके से लूटा इसी लूटपाट के कारण 15 वीं सदी के शुरूआत तक खजुराहो पूरी तरीके से खाली हो गया, ये ऐसा वक्त था जब कोई मजबूत चंदेल शासक अपनी प्रजा को बचाने के लिए बचा नहीं था। और इसके बाद 400 सालों तक खजुराहो के मंदिर पूरी तरीके से जंगलों में ढके रहे ,इसी वजह से मुगल शासकों को इस मंदिर के बारे में पता ही नहीं लगा। अंग्रेज आर्केलॉजिस्ट टी एल बर्ड ने सन् 1838 में खजुराहो को दोबारा खोज निकाला, स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद खजुराहो को 1970 में पर्यटकों के लिए खोला गया और 1986 में युनेस्को विश्व धरोहर में शामिल होने वाली भारत की तीसरी बड़ी साइट है । खजुराहो में लक्ष्मण मंदिर सबसे सुंदर है और सबसे ज्यादा मुर्ति इसी मंदिर में है। इसे लक्ष्मण देव बर्मन ने बनाया था और आप नीचे जो वीडियो देख रहे हैं वह लक्ष्मणेश्वर मंदिर के भीतरी भाग का है तो वीडियो देखिए।
लक्ष्मणेश्वर मंदिर का 90% भाग मुल रुप में है 10% हिस्सा का दुबारा मरम्मत किया गया है आप नीचे जो वीडियो देख रहे हैं वह लक्ष्मणेश्वर मंदिर के बाहरी भाग का है
लक्ष्मणेश्वर मंदिर चबुतरे पर बना है जिसमे उस समय की जीवन शैली की मुर्तियां बारीकी के साथ बनाया।।
लक्ष्मणेश्वर मंदिर के बाहरी परिसर में खजुराहो की सबसे पहली मुर्ति वारहा भगवान की विशाल मुर्ति बनी है जिस पर ग्रहों के साथ साथ अलग अलग भगवानों को भी दिखाया गया है ।
अब हम दिखा रहे हैं कंदरिया महादेव का मंदिर । खजुराहो के कंदारिया महादेव में कामसूत्र और तांत्रिक विद्या को प्रदर्शित करती हुई सबसे ज्यादा मुर्ति है । इस मंदिर को बनवाया था महाराज विद्याधर राव ने लगभग 1025 ई० से 1050 ई० के बीच में , माना जाता है कि उनके शासन काल में खजुराहो पर महमुद गजनी ने भी आक्रमण किया था , ये भी काफी लोग मानते है कि भारतीय इतिहास में विद्याधर राव ही ऐसे राजा है जिसने महमूद गजनी को हराया था , और अपनी जीत को यादगार बनाने के लिए उसने इस मंदिर को बनवाया था।
आगे हम दिखा रहे है जगदम्बा मंदिर खजुराहो ,जहां परमार वंश द्वारा स्थापित जगदम्बा की मुर्ति है और बाहरी दिवारों पर कामुक मुर्तियां बनी हुई है
आगे हम दिखा रहे हैं खजुराहो का विश्वनाथ मदिर
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