भेड़ पालन कैसे करें? Is sheep farming profitable or not?

In this insightful segment, Baldev Yadav, a farmer from Dhamtari, Chhattisgarh, shares his transformative journey into sheep and goat farming. He recounts how, after trying poultry farming without success, he decided to return to the traditional family occupation of animal husbandry. ‘I watched this channel for two to three years,’ Yadav explains, ‘and then decided to give it a try. I started with just two sheep as a trial and quickly realized they were far more profitable than goats.’ His initial investment of approximately 90,000 rupees has already seen remarkable returns, with his flock growing from 10 to 50-60 animals in just 1.5 years, and sales already bringing in around 60,000 rupees. Yadav proudly states that his investment has nearly tripled, demonstrating the significant potential of well-managed sheep farming in the region.”

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( भेड़ ) धमतरी, छत्तीसगढ़ में एक किसान की सफलता की कहानी

 

यह वीडियो धमतरी, छत्तीसगढ़ में भेड़ और बकरी पालन पर केंद्रित है, जिसमें एक स्थानीय किसान, बलदेव यादव, के अनुभवों और विभिन्न नस्लों पर प्रकाश डाला गया है। वीडियो का शीर्षक है “🐑🐐 धमतरी में भेड़ बकरी पालन: आंध्र, ओडिशा & रिकवा नस्ल का कमाल! 🚀”।


 

छत्तीसगढ़ में भेड़ की नस्लें

 

वीडियो की शुरुआत छत्तीसगढ़ में पाई जाने वाली भेड़ों की सामान्य नस्लों के परिचय से होती है।

  • आंध्र और ओडिशा नस्लें: छत्तीसगढ़ में भेड़ें मुख्य रूप से आंध्र और ओडिशा शैली की पाई जाती हैं। ये नस्लें स्थानीय जलवायु और परिस्थितियों के अनुकूल मानी जाती हैं।
  • रेकवा भेड़ें: इसके अतिरिक्त, रेकवा भेड़ें भी मौजूद हैं, जो मुख्य रूप से सारंगढ़, बारमकेला और सराई जैसे क्षेत्रों में पाई जाती थीं। हालांकि, अब लोग इन्हें उनके आकर्षक रूप के कारण धमतरी, महासमुंद और गरियाबंद जैसे स्थानों पर भी ला रहे हैं। बलदेव यादव बताते हैं कि रेकवा भेड़ें बहुत तेज़ होती हैं। उन्होंने अपनी रेकवा भेड़ें व्यक्तिगत रुचि के कारण प्राप्त की हैं। वीडियो इस बात की पुष्टि करता है कि किसान के पास छत्तीसगढ़ की तीनों सामान्य भेड़ें हैं: आंध्र, ओडिशा और रेकवा।

 

किसान बलदेव यादव से बातचीत

 

वीडियो का मुख्य आकर्षण किसान बलदेव यादव का साक्षात्कार है, जो धमतरी जिले के मगरलोड ब्लॉक के अमाचानी बोरा गाँव के निवासी हैं।

  • वर्तमान पशुधन: बलदेव यादव के पास वर्तमान में लगभग 50 भेड़और 10 बकरियाँ हैं, कुल मिलाकर लगभग 60 जानवर।
  • बकरी और भेड़ साथ क्यों?: यादव बताते हैं कि वह बकरियों को भेड़ों के साथ रखते हैं क्योंकि बकरियाँ अधिक सक्रिय होती हैं और भेड़ों को आगे बढ़ने में मदद करती हैं, जो एक ही जगह चरना पसंद करती हैं। यह एक व्यावहारिक रणनीति है जो चराई को अधिक कुशल बनाती है।
  • आर्थिक लाभ: उन्होंने बताया कि उन्होंने हाल ही में एक बकरी को 13,000 रुपये में बेचा।
  • विकास दर में अंतर: यादव इस बात पर भी प्रकाश डालते हैं कि भेड़ के मेमने बकरी के बच्चों की तुलना में बहुत तेजी से बढ़ते हैं। 15 दिन के मेमने चरना शुरू कर देते हैं, जबकि बकरी के बच्चों को इसमें 2-3 महीने लगते हैं। यह किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण जानकारी है क्योंकि यह पशुओं के विकास चक्र और बिक्री के समय को प्रभावित करती है।

 

भेड़ों की नस्लों की तुलना

 

बलदेव यादव विभिन्न भेड़ नस्लों के अपने अनुभवों और प्राथमिकताओं को साझा करते हैं:

  • ओडिशा बनाम आंध्र: यादव ओडिशा नस्ल को आंध्र नस्ल पर तरजीह देते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि ओडिशा की भेड़ें अधिक बार जन्म देती हैं और अक्सर दो मेमने देती हैं, जबकि आंध्र की भेड़ें आमतौर पर केवल एक देती हैं और उन्हें प्रजनन में अधिक समय लगता है। ओडिशा की भेड़ें तेज़ और फुर्तीली भी बताई गई हैं।
  • चारे की उपलब्धता और अनुकूलनशीलता: उन्होंने यह भी बताया कि बड़ी आंध्र भेड़ों को अधिक चारे की आवश्यकता होती है, जो उनके क्षेत्र में दोहरी फसल के कारण दुर्लभ है। इस कारण से, छोटी ओडिशा भेड़ें सीमित चराई स्थानों के लिए अधिक अनुकूल हैं। यह दर्शाता है कि किसान अपनी स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार नस्लों का चयन कर रहे हैं।

 

पशु देखभाल और व्यवसाय में परिवर्तन

 

  • पशु चिकित्सा और टीकाकरण: बलदेव यादव बताते हैं कि पशु चिकित्सक नियमित रूप से उनके खेत का दौरा करते हैं ताकि जानवरों को टीकाकरण और अन्य आवश्यक दवाएं दी जा सकें। उनकी सेवाएँ विश्वसनीय हैं।
  • डीवर्मिंग: पेट के कीड़े निकालने (डीवर्मिंग) का काम भी नियमित रूप से किया जाता है।
  • व्यवसाय में बदलाव की प्रेरणा: किसान साझा करते हैं कि उन्होंने इस चैनल को 2-3 साल तक देखने के बाद भेड़ पालन शुरू किया।
  • कुक्कुट पालन से परिवर्तन: शुरू में, उन्होंने कुक्कुट पालन (मुर्गी पालन) की कोशिश की, लेकिन उन्हें यह लाभदायक नहीं लगा।
  • पारंपरिक व्यवसाय में वापसी: इसके बाद, उन्होंने भेड़ और बकरी पालन में लौटने का फैसला किया, जो उनका पारंपरिक पारिवारिक पेशा था। उन्होंने दो भेड़ों के साथ एक परीक्षण के रूप में शुरुआत की और पाया कि वे बकरियों की तुलना में अधिक लाभदायक हैं, जिससे उनका ध्यान भेड़ों पर केंद्रित हो गया।
  • ठेकेदारी से खेती: पहले, वह एक पेंटिंग ठेकेदार के रूप में काम करते थे। उन्होंने बढ़ती प्रतिस्पर्धा और अपने पिछले व्यवसाय में काम में कमी के कारण खेती की ओर रुख किया।
  • निवेश और लाभ: उन्होंने अपने भेड़ पालन उद्यम में लगभग 90,000 रुपये का निवेश किया है। लगभग 1.5 वर्षों में, उनके झुंड का आकार 10 से बढ़कर 50-60 जानवर हो गया, और उन्होंने हाल ही में लगभग 60,000 रुपये की भेड़ें बेची हैं। वह कहते हैं कि उनका निवेश लगभग तीन गुना हो गया है। यह उनकी कड़ी मेहनत और सही निर्णय का प्रमाण है।

FAQs

प्रश्न 1: यह वीडियो किस बारे में है? यह वीडियो धमतरी, छत्तीसगढ़ में भेड़ और बकरी पालन की प्रथाओं के बारे में गहन जानकारी प्रदान करता है। इसमें स्थानीय किसान बलदेव यादव के साथ एक साक्षात्कार और विभिन्न भेड़ नस्लों, खेती की तकनीकों और इस व्यवसाय के वित्तीय पहलुओं पर चर्चा की गई है।


प्रश्न 2: बलदेव यादव कौन हैं और वह कहाँ से हैं? बलदेव यादव वीडियो में दिखाए गए किसान हैं। वह धमतरी जिले के मगरलोड ब्लॉक में अमाचानी बोरा गाँव के निवासी हैं।


प्रश्न 3: बलदेव यादव किस प्रकार के जानवर पालते हैं? बलदेव यादव मुख्य रूप से भेड़ें और बकरियाँ पालते हैं। उनके पास वर्तमान में लगभग 50 भेड़ें और 10 बकरियाँ हैं, कुल मिलाकर लगभग 60 जानवर हैं।


प्रश्न 4: बलदेव यादव अपनी भेड़ों के साथ बकरियाँ क्यों रखते हैं? वह अपनी भेड़ों के साथ बकरियाँ रखते हैं क्योंकि बकरियाँ अधिक सक्रिय होती हैं और भेड़ों को आगे बढ़ने में मदद करती हैं, जो लंबे समय तक एक ही जगह पर चरने की प्रवृत्ति रखती हैं। यह चराई प्रक्रिया को अधिक कुशल बनाता है।


प्रश्न 5: वीडियो में उल्लिखित छत्तीसगढ़ में पाई जाने वाली सामान्य भेड़ नस्लें कौन सी हैं? वीडियो में तीन सामान्य भेड़ नस्लों का उल्लेख किया गया है: आंध्र, ओडिशा और रेकवा


प्रश्न 6: बलदेव यादव किस भेड़ नस्ल को पसंद करते हैं और क्यों? बलदेव यादव आंध्र नस्ल की तुलना में ओडिशा नस्ल को पसंद करते हैं। वह बताते हैं कि ओडिशा की भेड़ें अधिक बार जन्म देती हैं और अक्सर दो मेमने देती हैं, जबकि आंध्र की भेड़ें आमतौर पर केवल एक देती हैं और उन्हें प्रजनन में अधिक समय लगता है। ओडिशा की भेड़ें तेज और अधिक फुर्तीली भी बताई गई हैं।


प्रश्न 7: भेड़ के मेमनों की विकास दर की तुलना बकरी के बच्चों से कैसे की जाती है? भेड़ के मेमने बकरी के बच्चों की तुलना में बहुत तेजी से बढ़ते हैं। यादव के अनुसार, 15 दिन के मेमने चरना शुरू कर सकते हैं, जबकि बकरी के बच्चों को ऐसा करने में 2-3 महीने लगते हैं।


प्रश्न 8: जानवरों को किस तरह की पशु चिकित्सा देखभाल मिलती है? पशु चिकित्सक बलदेव यादव के खेत में नियमित रूप से जाते हैं ताकि जानवरों को स्वस्थ रखने के लिए टीकाकरण और कृमिनाशक दवाएं दी जा सकें।


प्रश्न 9: पूर्णकालिक किसान बनने से पहले बलदेव यादव का पिछला पेशा क्या था? पूर्णकालिक भेड़ और बकरी पालन में उतरने से पहले, बलदेव यादव एक पेंटिंग ठेकेदार के रूप में काम करते थे।


प्रश्न 10: उन्होंने अपने पिछले पेशे से खेती में क्यों बदलाव किया? उन्होंने अपने पेंटिंग ठेकेदार के व्यवसाय में बढ़ती प्रतिस्पर्धा और काम में गिरावट के कारण खेती में बदलाव करने का फैसला किया। उन्होंने यह भी पाया कि जब उन्होंने शुरू में कुक्कुट पालन की कोशिश की तो वह लाभदायक नहीं था।


प्रश्न 11: बलदेव यादव ने भेड़ पालन कैसे शुरू किया? उन्होंने 2-3 साल तक उसी चैनल पर वीडियो देखने के बाद अपना भेड़ पालन उद्यम शुरू किया। उन्होंने सिर्फ दो भेड़ों के साथ एक परीक्षण के रूप में शुरुआत की और, उन्हें बकरियों की तुलना में अधिक लाभदायक पाकर, धीरे-धीरे अपने झुंड का विस्तार किया।


प्रश्न 12: बलदेव यादव ने अपने भेड़ पालन व्यवसाय में कितना निवेश किया? उन्होंने अपने भेड़ पालन उद्यम में लगभग 90,000 रुपये का निवेश किया।


प्रश्न 13: उनके भेड़ पालन व्यवसाय की वित्तीय वृद्धि कैसी रही है? लगभग 1.5 वर्षों में, उनके झुंड का आकार 10 से बढ़कर 50-60 जानवर हो गया। उन्होंने हाल ही में लगभग 60,000 रुपये की भेड़ें बेची हैं, और उनका कहना है कि उनका प्रारंभिक निवेश लगभग तीन गुना हो गया है।

 

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