बकरी पालन में सफलता: देशमुख फार्म
छत्तीसगढ़ के चंदना स्थित देशमुख बकरी फार्म की प्रेरणादायक कहानी जानें, जहाँ लिवर फ्लूक जैसी चुनौतियों के बावजूद बकरी और भेड़ पालन में असाधारण सफलता हासिल की गई है। यह फार्म गुणवत्तापूर्ण पशुधन प्रबंधन और स्थानीय कृषि-अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का एक बेहतरीन उदाहरण है।
छत्तीसगढ़ के धमतरी में सफलता की गाथा: देशमुख बकरी फार्म की प्रेरणादायक कहानी
- Village: Chandna
- Block/Sub-District/Tehsil: Magarlod
- District: Dhamtari
dhamtari छत्तीसगढ़: भारत के हृदयस्थल, छत्तीसगढ़ के चंदना गाँव की शांत पृष्ठभूमि में, एक ऐसी कहानी पनप रही है जो दृढ़ता, नवाचार और ग्रामीण उद्यमिता की भावना का प्रतीक है। यह कहानी है देशमुख बकरी फार्म की, जिसने पशुपालन के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है, चुनौतियों का सामना करते हुए भी लगातार विकास और सफलता की नई ऊंचाइयों को छू रहा है। पाँच साल पहले अपनी विनम्र शुरुआत के बाद से, यह फार्म अब 130 से 140 भेड़ और बकरियों के एक बढ़ते हुए झुंड का घर बन गया है, जो न केवल पशुधन के उत्पादन में उत्कृष्टता प्राप्त कर रहा है, बल्कि स्थानीय कृषि-अर्थव्यवस्था के लिए एक मार्गदर्शक भी बन गया है।
विविधता में समृद्धि: फार्म के पशुधन की एक झलक
देशमुख बकरी फार्म सिर्फ संख्याओं के बारे में नहीं है; यह गुणवत्ता और विविधता के बारे में भी है। फार्म में विभिन्न प्रकार की भेड़ और बकरियाँ पाली जाती हैं, जिनमें से प्रत्येक अपनी अनूठी विशेषताओं और बाजार मूल्य के लिए जानी जाती है:
- राजस्थानी घारी भेड़ें: अपनी लंबी पूंछ और मजबूत शारीरिक बनावट के लिए जानी जाने वाली ये भेड़ें न केवल दूध उत्पादन में अच्छी हैं, बल्कि इनके मेमने भी तेजी से बढ़ते हैं और वजन बढ़ाते हैं, जिससे ये व्यावसायिक रूप से अत्यधिक व्यवहार्य बन जाती हैं।
- आंध्र क्रॉस भेड़ें: घारी भेड़ों की तुलना में छोटी पूंछ और कम ऊन वाली ये भेड़ें कम बार ऊन काटने की आवश्यकता के कारण आसान प्रबंधन प्रदान करती हैं।
- ओडिशा भेड़ें: आकार में छोटी होने के बावजूद, ये भेड़ें अक्सर जुड़वां मेमनों को जन्म देती हैं, जिससे फार्म के झुंड का तेजी से विस्तार होता है।
- रीकवा भेड़ें: बारमकेला, सारंगढ़ और सराय्या जैसे क्षेत्रों में पाई जाने वाली ये भेड़ें अपनी चमकदार, बकरी जैसी बालों के लिए विशिष्ट हैं जिन्हें काटने की आवश्यकता नहीं होती है और जो आसानी से गंदे नहीं होते।
- छत्तीसगढ़ देसी क्रॉस बकरियाँ: फार्म विशेष रूप से अपनी उत्कृष्ट गुणवत्ता वाली “अंजोरी” बकरियों पर गर्व करता है, जिनकी स्थानीय और क्षेत्रीय बाजारों में अत्यधिक मांग है, जो उनकी बेहतर आनुवंशिकी और स्वास्थ्य को दर्शाता है।
चुनौतियों से पार पाना: लिवर फ्लूक का प्रबंधन
देशमुख बकरी फार्म की सफलता और भी उल्लेखनीय हो जाती है जब हम उस चुनौतीपूर्ण वातावरण पर विचार करते हैं जिसमें यह संचालित होता है। महानदी नदी बेसिन में स्थित होने के कारण, यह क्षेत्र धान की दोहरी फसल का साक्षी बनता है। हालांकि यह कृषि उत्पादकता के लिए फायदेमंद है, लेकिन इसके परिणामस्वरूप पशुओं के लिए उपलब्ध चारा अक्सर गीला रहता है। यह आर्द्र स्थिति लिवर फ्लूक नामक एक परजीवी संक्रमण के प्रसार के लिए एक आदर्श प्रजनन स्थल बन जाती है, जो पशुधन के यकृत और फेफड़ों को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकती है। कई पशुपालकों को इस स्थिति के कारण महत्वपूर्ण नुकसान उठाना पड़ा है।
हालांकि, देशमुख बकरी फार्म ने इस बाधा को एक अवसर में बदल दिया है। उन्होंने लिवर फ्लूक के प्रबंधन और रोकथाम के लिए अभिनव रणनीतियां और कड़े प्रोटोकॉल विकसित किए हैं। उनके द्वारा अपनाए गए उपाय न केवल उनके पशुओं के स्वास्थ्य की रक्षा करते हैं, बल्कि यह भी सुनिश्चित करते हैं कि फार्म एक लाभदायक उद्यम बना रहे, जो यह साबित करता है कि प्रतिकूल परिस्थितियों में भी समझदारी और समर्पण के साथ सफलता प्राप्त की जा सकती है।
समग्र देखभाल और प्रबंधन प्रथाएं
फार्म के पशुधन के स्वास्थ्य और कल्याण के प्रति उनका समर्पण उनकी समग्र देखभाल और प्रबंधन प्रथाओं में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है:
- बबूल फल (चुतकी/पैरी) का उपयोग: फार्म के सबसे अनूठे प्रथाओं में से एक बबूल के फल का उपयोग है। यह फल, जिसे सालाना एकत्र किया जाता है, पशुओं को बेहतर स्वास्थ्य, पोषण और एक चमकदार कोट के लिए खिलाया जाता है, जो उनके कल्याण का एक स्पष्ट संकेतक है। यह विशेष रूप से तब फायदेमंद होता है जब फल ताजे और दूधिया होते हैं।
आधुनिक बुनियादी ढांचा और मान्यता
फार्म ने अपने बुनियादी ढांचे में भी महत्वपूर्ण निवेश किया है। हाल ही में, एक नया शेड बनाया गया है जो 40 फीट लंबा, 11 फीट चौड़ा और 8-10 फीट ऊंचा है, जिसके निर्माण में लगभग 2-2.5 लाख रुपये का खर्च आया है। यह आधुनिक सुविधा पशुओं को पर्याप्त आश्रय और आरामदायक वातावरण प्रदान करती है, जो उनके स्वास्थ्य और उत्पादकता में योगदान करती है।
देशमुख बकरी फार्म की उत्कृष्टता को केवल आंतरिक सफलता तक ही सीमित नहीं रखा गया है। उनके अथक प्रयासों और पशुपालन के प्रति समर्पण को बाहरी रूप से भी मान्यता मिली है। फार्म के मालिकों को तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह द्वारा एक पशुधन मेले के दौरान दो बार सम्मानित किया गया है, जिसमें एक ₹10000 का चेक भी शामिल था, जो उनके नवाचार और उद्योग में योगदान का प्रतीक है।
भविष्य की ओर
देशमुख बकरी फार्म की कहानी छत्तीसगढ़ के अन्य पशुपालकों के लिए एक प्रेरणास्रोत है। यह दर्शाता है कि यदि सही ज्ञान, समर्पण, और चुनौतियों का सामना करने का दृढ़ संकल्प हो, तो प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सफलता प्राप्त की जा सकती है। चंदना गाँव, धमतरी जिले में नारी और नवापारा राजिम के पास स्थित, यह फार्म न केवल उच्च गुणवत्ता वाले पशुधन का उत्पादन कर रहा है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत कर रहा है और अन्य लोगों को पशुपालन को एक लाभकारी व्यवसाय के रूप में अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। देशमुख बकरी फार्म पशुधन क्षेत्र में स्थिरता, विकास और नवाचार के एक उज्ज्वल भविष्य का प्रतिनिधित्व करता है।