हम आपको दिखा रहे हैं छत्तीसगढ़ के खजुराहो कहे जाने वाला भोरमदेव मंदिर। भोरमदेव मंदिर, कवर्धा जिले में कवर्धा शहर से 18 किलोमीटर की दूरी तथा रायपुर से लगभग 125 किलोमीटर की दूरी पर चौरा गांव में स्थित है।
यह मंदिर चारों तरफ से मैकल पर्वत समूह से घिरा हुआ है और बीच के मैदान में तालाब के सम्मुख भोरमदेव का ऐतिहासिक मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण 11 वीं सदी में फनी नागवंशी राजा गोपाल देव ने कराया था। ऐसा कहा जाता है कि भोरमदेव नागवंशी राजाओं के इष्टदेव है इन्हें भगवान शंकर का रूप भी माना जाता है। और यहां पर शिवलिंग विद्यमान है शिवलिंग के साथ साथ खजुराहो के जैसे मंदिर के दीवारों पर आपको कामसूत्र की मूर्तियां देखने को मिलेगी। साथ ही मंदिर के परिसर में दाढ़ी मूछ वाले योगी भी देखने को मिलेंगे जिसके शरीर पर अलग-अलग जीवो के निशान है। इस मंदिर का मुख पूर्व की ओर है और मंदिर नागर शैली का एक सुंदर उदाहरण है भोरमदेव मंदिर में तीन ओर से प्रवेश किया जा सकता है। भोरमदेव मंदिर 5 फुट के एक ऊंचे चबूतरे पर बनाया गया है मंडप की लंबाई 60 फुट है और चौड़ाई 40 फुट है मंडप के बीच में 4 खंबे खड़े हैं तथा किनारों पर 12 खंबे है।
हरी-भरी वादियों के बीच यह मंदिर किसी भी व्यक्ति के भीतर अध्यात्म की उत्पत्ति कर देगा। इसलिए भोरमदेव मंदिर में साल भर श्रद्धालुओं का ताता लगा रहता है नीचे दिए लिंक पर क्लिक कर भोरमदेव का वीडियो पूरा देखें और कामेंट बाक्स में अपने विचार जरुर व्यक्त करें। धन्यवाद मैं ओमप्रकाश अवसर