इस वीडियो पर हम दिखा रहे हैं कि छत्तीसगढ़ में कम्बल (कमरा )कैसे बनता था , जो कला अब विलुप्त होने की ओर अग्रसर है जब हमारे उम्र के लोग बच्चे थे तब छत्तीसगढ के गावों में लोग कमरा बिनते लोग दिख जाया करते थे और कमरा बनते देख कर मन आनंदित हो जाया करता था,
इस काम में एक ही परिवार के बहुत सारे लोग लगे रहते थे और गांव भर के बहुत सारे परिवार इस काम को किया करते थे लेकिन पिछले कुछ दिनों से यह काम लुप्तप्राय है यह काम बहोत सारे लोगों को रोजगार प्रदान करता था। कमरा (कंबल) के बहुत सारे आयुर्वेदिक महत्व है जैसे कि एलर्जी हो जाने पर, दाना निकल आने पर कमरा ओढ़ाया जाता था और इस कंबल के ओढ़ाते ही एलर्जी से मुक्ति मिल जाती थी। साथ ही इस कंबल का धार्मिक महत्व भी है आज भी पूजा पाठ इसी कंबल पर बैठकर होता है या कंबल ऊष्मा का अच्छा कुचालक है इसलिए इस कंबल पर बैठकर खाना-खाना आयुर्वेद के हिसाब से अति उपयुक्त माना गया है।
एक कंबल की इतनी सारी उपयोगिता को देखकर ही छत्तीसगढ़ी में कमरा के ऊपर लोकगीत (कबीरवाणी) प्रसिद्ध है- बुझो बुझो गोरखनाथ अमृतवाणी गिरेला कमरा भीगेला पानी जी, इस गाने का अर्थ यह है की अत्यधिक वर्षा होने के बाद भी इसको ओड़ने वाला वर्षा से भीगता नहीं है। बरसात के दिनों में खेतों में हल चलाने वाले किसान-सिर पर खूमरी और पूरे बदन को कमरा (कम्बल) से ढक लिया करते थे और पुरातन दौर पर बरसात के दिनों पर छत्तीसगढ़ के खेतों में इसी तरीके से काम किया जाता था। साथ ही साथ जो चरवाहे होते थे वह भी सिर पर खूमरी और बदन पर कमरा और पैरों में भंडाई पहना करते थे। और छत्तीसगढ़ के इन्हीं खोई हुई परंपराओं पर विमर्श जागृत करती है कवि मीर अली मीर की कविता- नंदा जाही का रे नंदा जाही का रे, कमरा अ ऊ खुमरी धरे तुतारी नंदा जही का। और इस कविता को छत्तीसगढ़िया जनमानस ने इतना प्यार दिया, कि आज ये कविता हर छत्तीसगढ़िया को याद है तो आज भी छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अर्थव्यवस्था इस कंबल को सम्मान की दृष्टि से देखती है क्योंकि यह कंबल हमारे गांव को रोजगार देते थे जो आप लुप्त होने के कगार पर है इसीलिए हम आपके लिए लेकर आ रहे हैं कंबल बनाने का पूरा प्रोसेस जिससे आप गौरवशाली इतिहास हो याद रख सकें और इन चीजों को दोबारा इस्तेमाल में लाएं जिससे गांव को बेहतर बाजार उपलब्ध हो सके।।
यह कमरा बनाने का वीडियो हमने राजकुमार पाल जी,और उनके परिवार का शुट किया है । जो कमरा बनाने का पूरा प्रोसेस दिखा रहे हैं इस पशुपालक के पास 200 बकरी और भेड़ पालन एक साथ है ,यह वीडियो ग्राम फुण्ड़रडीह तहसील-पलारी जिला-बलोदाबाजार छत्तीसगढ़ का है पूरा समझने के लिए वीडियो देखें ओमप्रकाश अवसर